अग्नि के समक्ष सात फेरों के समय कोछा डालते समय अंजू ने पूछा था, पापा हिमांशु भैया नहीं दिख रहा।

आनन्द शुक्ला की रिपोर्ट कानपुर देहात

कानपुर देहात मंगलपुर ।खून का रिश्ता होता ही ऐसा है..अंजू को किसी अनहोनी की आशंका बार-बार बेचैन कर रही थी। उसका जान से प्यारा हिमांशु भइया उसे पिछले कई घंटे से दिखा नहीं था। द्वारचार की रस्म के साथ खाना खिलाने से लेकर अन्य रस्मों में भी वह नहीं दिखा था। जिस आंगन में भइया के साथ आंख मिचौली, पकड़ा पकड़ी खेलते पली बढ़ी, आज वहां से वह विदा होने को थी, लेकिन आंखों में बसा कर रखने वाला उसका भाई इस मौके पर उससे न जाने कौन सी छिपा-छिपौवल खेल रहा था। आखिर मौका फेरे के वक्त कोछा डालने का आया तब भी वह नहीं दिखा तो बहना ने पूछा, पापा भइया नहीं दिख रहा..,पापा खामोश रहे तो उसने दोबारा पूछा, हिमांशु भइया कहां है तभी पास मौजूद रिश्तेदार ने अंजू के सिर हाथ फेरा कहा कहीं होगा आ जाएगा।

बहन से हिमांशु की आखिरी मुलाकात बुधवार करीब सात बजे हुई थी। उसके पास कुछ देर रुकते हुए तैयारियों को देखा था और फिर वहां से यह कह कर चला गया कि अभी आता हूं..। उसके यह आखिरी शब्द अंजू को पिछले सात घंटे से खटक रहे थे। बरात दरवाजे आने से लेकर स्वागत, द्वारचार सहित अन्य सारी रस्मों के दौरान भी वह कहीं नजर नहीं आया था। छोटा भइया सुमित, मां किरन भी दुख के पहाड़ से अनजान थे। इन लोगों ने भी जानकारी की, लेकिन इस घटना को सभी से राज ही रहने दिया गया। अंजू ने कई बार बड़े भाई को पूछा, लेकिन कोई उसे सही जवाब नहीं दे सका। आखिर सात फेरों के समय वक्त था बड़े भाई को कोछा डालने का तब भी हिमांशु नहीं आया तो अंजू से नहीं रहा गया। बीच में ही टोकते हुए कहा, पापा भइया कहां गया बहुत देर हो गई दिख नहीं रहा है। अब पिता उसे क्या जवाब देते कि उनका प्यारा भइया अब उसका हाथ छुड़ा कर हरदम के लिए उसकी आंखों से दूर जा चुका है। उनके कुछ जवाब न देने और अंजू के लगातार पूछने पर एक रिश्तेदार ने कहा, बिटिया यहीं कहीं होगा, आ जाएगा। आखिर विदाई के वक्त भी बहना की सूनी आंखें अपने भइया को देखने के लिए व्याकुल थीं, लेकिन बाबुल का आंगन छोड़ कर जा रही बहना को तब भी जरा सा आभास नहीं होने पाया कि वह तो अपनी मां का आंचल छोड़ कर अपनी ससुराल जा रही है, लेकिन भइया तो दुनिया छोड़ अनंत में विलीन हो चुका था। बुधवार को करियाझाला मंगलपुर निवासी रामनरेश की पुत्री अंजू का विवाह सिधी कॉलोनी भरथना के अनिकेत के साथ हो रहा था। शाम सात बजे के करीब बरात आई तो जनवासे में स्वागत को लेकर चहल पहल बढ़ गई। इसी दौरान घर आते समय हिमांशु की बाइक में अज्ञात वाहन ने टक्कर मार दी थी, जिससे उसकी मौत हो गई थी।

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