नई दिल्ली
ट्रैफिक नियम तोड़ने पर बढ़े जुर्माने के खिलाफ आज देशभर में ट्रांसपॉर्ट्रर्स हड़ताल पर हैं। दिल्ली और उससे सटे नोएडा, गाजियाबाद और फरीदाबाद में इस हड़ताल का असर ज्यादा दिख रहा है। हड़ताल समर्थकों द्वारा जबरन कमर्शल वाहनों, खासकर ओला-ऊबर को रुकवाया जा रहा है। इसके साथ सड़क पर उतरे ऑटो को भी जबरन रुकवाने की तस्वीरें सामने आ रही हैं। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर कैब्स को रुकवाया गया। इस हड़ताल से सुबह-सुबह ऑफिस के लिए निकले लोगों को खासी परेशान का सामना करना पड़ा। बता दें कि हड़ताल के मद्देनजर नोएडा के अधिकतर स्कूलों में छुट्टी गई है। दिल्ली-एनसीआर के जिन स्कूलों में छुट्टी नहीं है, वहां पैरंट्स से बच्चों को लाने-ले जाने को कहा गया है।
ओला-ऊबर और टैक्सियों को रोक रहे हैं हड़ताल समर्थक
नोएडा के सेक्टर 61 पर दिखा, जहां हड़ताल समर्थकों ने पीली नंबर प्लेट वाली कमर्शल कारों को रोकना शुरू कर दिया। ओला और ऊबर कैब को एक-एक कर सड़क किनारे खड़ा करवा दिया गया। इससे इन कैब्स से ऑफिस और अन्य जगहों के लिए निकले लोग सड़क पर लिफ्ट मांगते नजर आए। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के बाहर भी ऐसा ही नजारा देखने को मिला। टैक्सी और ऑटो ड्राइवर सवारियों को नहीं ले रहे हैं। अगर कोई ड्राइवर किसी यात्री को ले जाने के लिए तैयार भी हो रहा है तो हड़ताली ड्राइवर उन्हें जबरन रोक रहे हैं। हंगामे की वजह से मुसाफिरों को परेशानी हो रही है।
मेट्रो और सरकारी बसों में बढ़ेंगी भीड़
दिल्ली-एनसीआर में प्राइवेट बस ऑपरेटर्स की करीब 25000 कॉन्ट्रैक्ट कैरिज की बसें चलती हैं और इन बसों से लोग नोएडा, गुड़गांव, गाजियाबाद, बहादुरगढ़, पानीपत, मेरठ तक का सफर करते हैं। नेहरू प्लेस में अपने ऑफिस जाने वाले भी बड़ी संख्या में इन बसों का प्रयोग करते हैं। कॉन्ट्रैक्ट कैरिज की बसें नहीं चलने से लोगों को अपने ऑफिस जाने के लिए मुश्किल हो रही है। इसका असर मेट्रो-डीटीसी की बसों में नजर आना लाजिमी है, जहां भीड़ बढ़ सकती है।
सड़कों पर कम दिख रहे ऑटो
दिल्ली में 90 हजार से ज्यादा ऑटो और करीब 10 हजार काली-पीली टैक्सियां चलती हैं। ऑटो- टैक्सी की प्रमुख यूनियन इस हड़ताल के समर्थन में आ गई है। इसके अलावा दिल्ली में 900 आरटीवी, 6153 ग्रामीण सेवा, 600 से ज्यादा इको फ्रेंडली गाड़ियां, 700 फटफट सेवा, 141 मैक्सी कैब चलती हैं। इस हड़ताल का असर इन गाड़ियों पर भी नजर आ रहा है। ये गाड़ियां ज्यादातर बाहरी दिल्ली और ग्रामीण इलाकों में चलती हैं और लास्ट माइल कनेक्टिविटी के लिए काफी अहम हैं।