कौन है चिन्मयानंद स्वामी और रेप के आरोप में जेल की सलाखों के पीछे तक पहुंचने की कहानी

शाहजहांपुर
लंबे समय के इंतजार के बाद आखिरकार रेप के आरोपी पूर्व केंद्रीय मंत्री चिन्मयानंद को गिरफ्तार कर लिया गया है। चिन्मयानंद को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। उनके ऊपर उन्हीं के कॉलेज की एक लॉ स्टूडेंट ने रेप का आरोप लगाया था। पीड़िता ने मैजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज कराने के बाद चिन्मयानंद की जल्द से जल्द गिरफ्तारी की मांग की थी। गिरफ्तारी में हो रही देरी पर पीड़िता ने आत्मदाह की धमकी भी दी थी। राम मंदिर आंदोलन से राजनीति की शुरुआत करने वाले कृष्णपाल सिंह उर्फ स्वामी चिन्मयानंद के राजनीति के शिखर तक पहुंचने और रेप के आरोप में जेल की सलाखों के पीछे तक पहुंचने का सफर 

स्वामी चिन्मयानंद मूल रूप से यूपी के गोंडा के रहने वाले हैं। इनके बचपन का नाम कृष्णपाल सिंह था। बीजेपी के कद्दावर नेता माने जाने वाले चिन्मयानंद ने लखनऊ यूनिवर्सिटी से एमए किया था। इनका अवध घराने से ताल्लुक भी माना जाता है। कहा जाता है कि उन्होंने 20 साल की उम्र में ही घर छोड़ दिया था और बुद्ध व महावरी स्वामी की राह पर चलते हुए घर छोड़ दिया था।

राम मंदिर आंदोलन से किया राजनीति में आगाज
अस्सी के दशक में चिन्मयानंद शाहजहांपुर आ गए और स्वामी धर्मानंद के शिष्य बन कर उन्हीं के आश्रम में रहने लगे। धर्मानंद के गुरु स्वामी शुकदेवानंद ने ही मुमुक्षु आश्रम की नींव रखी थी। अस्सी के दशक के आखिरी में देश में राम मंदिर आंदोलन जोर पकड़ रहा था। इस आंदोलन में चिन्मयानंद ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और बीजेपी में शामिल होकर राजनीतिक सफर का आगाज किया।

राम मंदिर आंदोलन की लहर में मिली थी पहली जीत
राम मंदिर आंदोलन में चिन्मयानंद ने गोरखपुर के गोरक्षा पीठ के महंत और पूर्व सांसद अवैद्य नाथ के साथ मिलकर बड़ी भूमिका निभाई थी। 1991 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने चिन्मयानंद को बदायूं की सीट से टिकट दिया था जहां से उनका कोई ताल्लुक नहीं था लेकिन कहते हैं कि मंदिर आंदोलन की लहर में उन्होंने ये चुनाव जीत लिया था।

3 बार के सांसद रह चुके हैं
इसके सात साल बाद चिन्मयानंद 1998 में मछलीशहर से 1999 में जौनपुर से सांसद चुने गए। इसके बाद वाजपेयी सरकार में केंद्रीय गृहराज्य मंत्री बनाए गए। स्वामी चिन्मयानंद यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी अपना करीबी बताते हैं। 2017 में जब बीजेपी भारी बहुमत से जीती थी तो इन्होंने ही सबसे पहले योगी का नाम सीएम पद के लिए सुझाया था।

योगी सरकार ने केस वापस लेने का फैसला किया था

स्वामी चिन्मयानंद शाहजहांपुर में स्वामी शुकदेवानंद लॉ कॉलेज भी चलाते हैं। स्वामी चिन्मयानंद पर सात साल पहले नवंबर 2011 को शाहजहांपुर में एफआईआर दर्ज हुई थी। उनके ही आश्रम में कई वर्षों तक रहने वाली एक युवती ने उनके खिलाफ रेप और यौन शोषण का आरोप लगाया था। राज्य सरकार ने 2018 में शाहजहांपुर की एक अदालत से केस को वापस लेने का फैसला भी किया था। शाहजहांपुर प्रशासन ने 9 मार्च 2018 को वरिष्‍ठ अभियोजन अधिकारी को पत्र लिखकर केस वापस लेने को कहा था। पत्र में लिखा था कि प्रशासन ने सीआरपीसी की धारा 321 के तहत केस वापस लेने का फैसला लिया है।

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