रिपोर्ट- गोरख नाथ
बनबसा: भारत नेपाल सीमा पर 57 वीं वाहिनी सशस्त्र सीमा बल के कमांडेंट बृजपाल सिंह नेगी के दिशा निर्देश पर शुक्रवार को स्वापक नियंत्रण ब्यूरो द्वारा भारत को नशा मुक्त बनाने के संकल्प को आगे बढ़ाते हुए विश्व नशा मुक्ति दिवस पखवाड़े का आयोजन किया गया। इसका आयोजन 12 जून से 26 जून तक किया जाएगा।
आपको बता दें कि प्रति वर्ष 26 जून को अंतर्राष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस मनाया जाता है। नशीली वस्तुओं तथा मादक पदार्थों के निवारण के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 7 दिसंबर 1987 को यह प्रस्ताव पारित किया था तभी से हर साल लोगों को नशीले पदार्थों के सेवन से होने वाले दुष्परिणामों के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से इस दिवस को मनाया जाता है।
इसी क्रम में शुक्रवार को भारत नेपाल सीमा पर गड़ी गोठ में ए-कंपनी सशस्त्र सीमा बल धनुष पुल रीड्स संस्था बनबसा तथा युवा कल्याण नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र बनबसा द्वारा संयुक्त रूप से नशा मुक्ति कार्यशाला का आयोजन किया गया।
आयोजित कार्यशाला में उपस्थित सहायक कमांडेंट दीवान सिंह कार्की, उपनिरीक्षक मग सिंह, रीड्स संस्था से प्रकाश चंद तथा मीरा रावत द्वारा युवाओं में नशीली दवाओं के दुरुपयोग तथा नशे से होने वाले दुष्परिणामों के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए जागरूक किया गया।
साथ ही नशीले पदार्थों से स्वयं को दूर रखकर अन्य लोगों को भी इससे दूर रहने के लिए जागरूक और सचेत करने हेतु अपील किया गया। इस दौरान नशे से मुक्ति पा चुके कुछ लोगों ने भी इसके दुष्परिणामों के बारे में बताते हुए अपने विचार व्यक्त किए।
वहीं नशा मुक्ति कार्यशाला के दौरान सशस्त्र सीमा बल की महिला कार्मिकों द्वारा भी नशे से संबंधित सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करके आम नागरिकों तथा युवाओं को नशे से बचने के लिए जागरूक किया गया साथ ही बताया गया कि मादक पदार्थों का शरीर के अंगों पर विपरीत असर पड़ता है।
नशे के आदि लोग शारीरिक, मानसिक तथा आर्थिक रूप से काफी कमजोर हो जाते हैं और स्वभाव भी चिड़चिड़ा हो जाता है वहीं स्वास्थ्य पर भी बहुत बुरा असर पड़ता है। ऐसे लोग समाज व परिवार से बिल्कुल दूर हो जाते हैं तथा सबसे ज्यादा दुर्घटना के शिकार होते हैं।
वहीं कार्यशाला के दौरान निरीक्षक/सा. योगेश यादव, मुख्य आरक्षी आरपी सिंह, दीपक कुमार, आरक्षी/महिला ओमरती, पूजा सैनी, पूनम, विमला, धन्तु सलिया तथा रीड्स संस्था बनबसा के कर्मियों सहित लगभग 40 स्थानीय ग्रामीण उपस्थित रहे।