आंगनबाड़ी केन्द्रों पर आयोजित किया गया ‘ममता दिवस’

आनन्द शुक्ला की रिपोर्ट कानपुर देहात

“प्रसव से पहले और बाद में संतुलित पोषाहार की अधिक ज़रूरत”

कानपुर देहात, 15 अक्टूबर 2019
सुरक्षित जच्चा-बच्चा के लिए महिलाओं को गर्भावस्था और प्रसव के पश्चात संतुलित एवं अच्छे खानपान की ज़्यादा ज़रूरत होती है ताकि दोनों का स्वास्थ्य बेहतर रहे और कुपोषण का शिकार न हो सकें। इसी को ध्यान में रखते हुए जिले के सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर ममता दिवस आयोजित किया गया।
मलासा ब्लॉक केविषधन, नया नेवाडा समेत अन्य सभी आंगनबाड़ी केंद्र में ममता दिवस के अवसर पर सभी लाभार्थियों को पोषाहार वितरित किया गया। साथ ही वहां मौजूद गर्भवती एवं धात्री महिलाओं सहित बच्चों एवं किशोरियों को भी स्वास्थ्य, पोषण, स्वच्छता एवं शारीरिक विकास से जुड़ी जानकारी के बारे में जागरूक किया गया। इस दिवस पर महिलाओं ने बढ़-चढ़ कर अपनी सहभागिता दर्ज की।
आंगनबाड़ी केन्द्रों पर मनाए जाने वाले ममता दिवस का उद्देश्य माताओं को पोषाहार और उपहार देकर सम्मानित किया जाता है और एक चैम्पियन के रूप में समुदाय के सामने बेहतर उदाहरण के रूप में पेश किया जाता है जिससे समुदाय में अन्य महिलाएं भी स्वास्थ्य एवं पोषाहार के प्रति जागरूक हो सकें।
गर्भावस्था में संतुलित आहार एवं आयरन फॉलिक एसिड है जरूरी
मलाका ब्लॉक के बाल विकास परियोजना अधिकारीवीरेंद्र सिंह ने बताया कि प्रसव से पूर्व एवं पश्चात संतुलित आहार एवं प्रोटीन व विटामिन युक्त खाद्य पदार्थों को अपने खानपान में शामिल करना चाहिए जिससे जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ रह सकें। सुबह गुड़ और चना खाने से शरीर में आयरन की बढ़ोतरी में सहायता मिलती है और गाजर, चुकंदर, अनार आदि के खाने से शरीर में खून में मदद मिलती है। वहीं गर्भावस्था के दौरान संतुलित आहार के साथ आयरन फोलिक एसिड की गोली खानी चाहिए जिससे खून का स्तर सामान्य बना रहे।
उन्होने बताया कि अक्सर महिलाओं और किशोरियों में खून की कमी पायी जाती है जिसका कारण सही खानपान न हो पाना है। इसकी वजह से शरीर में थकावट और चिड़चिड़ापन आता है। किशोरियाँ ही आगे चलकर माँ बनती हैं, इसीलिए किशोरावस्था से ही बेहतर एवं संतुलित खानपान लेना चाहिए। वहीं किशोरियों को हर माह चार बार यानि सप्ताह में एक बार आयरन की नीली गोली खानी चाहिए जिससे उनमें खून की कमी न हो सके।
क्या कहते हैं आँकड़े
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2015-16 (एनएफ़एचएस-4) के आंकड़ों के अनुसार जिले में कुल 6.9 फीसदी महिलाओं ने गर्भवती होने के बाद 100 दिनों या उससे अधिक के लिए आयरन फोलिक एसिड का सेवन किया हैं। वहीं दूसरी ओर 15से 49वर्ष तक की कुल 62.8 फीसदी गर्भवती महिलाओं में खून की कमी है

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