पीलीभीत: आस्था का केंद्र है, सिद्धपीठ यशवंतरी देवी मंदिर, चैत्र नवरात्र मेले में उमड़ रही भीड़।।

रिपोर्ट: विवेक शर्मा

पीलीभीत: पीलीभीत में शहर के बीचो-बीच स्थित यशवंतरी मंदिर का इतिहास लगभग सैकड़ों साल पुराना है, इस मंदिर की काफी मान्यता है, यहां पर हर वर्ष नवरात्रि में मां यशवंतरी देवी के दर्शन के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। मान्यता है कि, मां यशवंतरी देवी ने नकटादाना राक्षस को मारने के लिए अवतार लिया था, इसके बाद से आज तक हर नवरात्रि में यहां पर मेला लगता है. दूर-दूर से आते है माता के भक्त।

हर साल की भाती इस साल भी चैत्र नवरात्र में मां यशवंतरी देवी मंदिर में मेले का आयोजन किया गया है, यह मेला 2 अप्रैल 2022 से लेकर 22 अप्रैल 2022 तक चलेगा। वहा के महंत श्री राजेश स्वरूप बाजपाई जी से बात करने के बाद, मां यशवंतरी देवी के प्रति आस्था और माता के देश विदेश में भक्तो के बारे मे पता चला, महंत जी का कहना है, एक साल छोड़ कर बरेली से आती है माता की झंडी।

मां यशवंतरी देवी मंदिर की प्रबंधक श्रीमती रजनी बाजपाई जी का कहना है, कोरोनाकाल से पहले तक चैत्र नवरात्र में बरेली जिले से भी हजारों भक्त झंडी यात्रा लेकर यहां पहुंचते रहे हैं। त्योहारों पर भीड़ इतनी बढ़ जाती है कि व्यवस्था बनाना मुश्किल होने लगता है। पुलिस के साथ ही मंदिर प्रबंधन से जुड़े लोगों को खासी मशक्कत करनी पड़ती है।

मां यशवंतरी ने क्यों लिया अवतार ?

शहर के बीचो-बीच बना यशवंतरी मंदिर लाखों लोगों की आस्था का केंद्र है. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, हजारों साल पहले नकटादाना नाम का एक राक्षस हुआ करता था, जिसने यहां के लोगों का जीना मुश्किल कर रखा था, नकटादाना राक्षस के अत्याचार से छुटकारा पाने के लिए यहां के लोगों ने यज्ञ-हवन किया, जिसके बाद मां यशवंतरी देवी ने यहां पर अवतार लिया और नकटादाना नामक राक्षस का वध किया था

ये है मान्यता – 

यशवंतरी देवी मंदिर में हर नवरात्रि को बड़े मेले का आयोजन होता है. जिसमें देश के कई हिस्सों से आये लोग शामिल होते हैं,  मान्यता है कि यहां पर राक्षस नकटादाना को मारने के बाद मां यशवंतरी देवी ने पानी पिया था। जो जल आज भी मां यशवंतरी देवी के मूर्ति के नीचे स्थित है, बताया जाता है यहां पर नेत्रहीन लोगों को वह जल दिया जाता है, जिसे लगाते ही लोगों की आंखों की रोशनी वापस आ जाती है।

राक्षस नकटादाना के नाम पर है चौराहा

मां यशवंतरी मंदिर से 500 मीटर की दूरी पर आज भी नकटादाना राक्षस के नाम पर चौराहा बना हुआ है, जो कि शहर के सबसे व्यस्ततम चौराहे में से एक है, यह चौराहा टनकपुर हाइवे पर मौजूद है, बताया जाता है कि नकटादाना राक्षस इसी चौराहे पर खड़े होकर लोगों को जिंदा खा जाता था।

इसलिए इस चौराहे को नकटादाना चौराहे के नाम से जाना जाता है.मंदिर के महंत राजेश स्वरूप बाजपेई ने बताया कि मंदिर यशवंतरी देवी का यह मंदिर लगभग 100 साल पुराना है, यहां नकटादाना नामक राक्षस को मारने के लिए मां ने अवतार लिया था।

उसके बाद इसी मंदिर में विश्राम किया था और जल ग्रहण किया था, ये जल आज भी है. इस जल की मान्यता है कि जिन लोगों के आंखों की रोशनी चली जाती हो, इस जल से लोगों की आंखों की रोशनी वापस आ जाती है।

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